मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है
गुरु का सद्सान्निध्य ही, जग में हैं उपहार।
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार।।
तुम्हीं बताओ राम का, होता प्रखर चरित्र?
गुरु वशिष्ठ होते नहीं, और न विश्वामित्र।
गुरू ही व्यक्ति को इन्सान का रूप देता है। गुरू ही ज्ञान का पर्याय है। एक सच्चा गुरू ही अपने शिष्यों को इस संसार से परिचित करवाता है।शिक्षा देना, हमेशा के लिए किसी की ज़िन्दगी को बदल देना है।गुरु शब्द गु और रु से मिलकर बना है. गु का अर्थ अन्धकार और रु का अर्थ प्रकाश होता है. यानि जो हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाएँ वही गुरु हैं।रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में प्रसन्नता जगाना शिक्षक की सर्वोत्तम कला है।
आप सभी साथियो के प्रेम की सम्पूर्ण अकांछा के साथ चंद टूटे- फूटे शब्दों में मैंने अपनी बात रखने की एक छोटी सी अक्षुण कोशिश की है। कृपया पसंद आए तो हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब जरूर करे ।
उसके इशारों पर चलके मंज़िल से खुदको रूबरू देखा है,
उसके इशारों पर चलके मंज़िल से खुदको रूबरू देखा है,
मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है ।
मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है ,,
गुमनामी के अंधेरे से निकालकर एक पहचान बना देता है,
दुनिया के सारे रंजोगम से मानो अंजान बना देता है
गुमनामी के अंधेरे से निकालकर एक पहचान बना देता है,
और मंज़िल मिलना, ना मिलना मुकद्दर भी हो सकता है यारों
कल तक जो ख्वाब पाले थे, उनकों होते अब शुरु देखा है
पर गुरु की कृपा वाकइ हम जैसों को इंसान बना देता है ।
कल तक जो ख्वाब पाले थे, उनकों होते अब शुरु देखा है
इस खुदा मे इतनी शक्ति है की खामोश रहकर भी बहुत कुछ कह जाता है
मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है ,,
जलकर खुद दिए की तरह कई जीवन रौशन कर जाता है
और देता है ज़माने मे कई नाम,
जीवन अपना कर अर्पण जो मंज़िल की ओर बढ़ाता है
पर खुद वो गुमनाम ही रह जाता है
लिखकर ये गज़ल अपने कलम से मैने लब्जो तक मे आबरू देखा है
मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है ,,
मैने खुदा तो नही देखा पर गुरु देखा है ।
जय हिन्द To All of You