Inner Voice

लिख़ने को तो मैं पत्थर की पीड़ा भी लिख दूँ., पर समझने ख़ातिर तुम्हें 'ईश्वर' होना पड़ेगा.!!

Sunday, February 7, 2021

मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है

मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है


गुरु सिर्फ एक शब्द मात्र नही है, अपितु यह किरदार उस महासागर से भी गहरा है जो विभिन्न
स्थानों से होकर आये हुए समस्त जलधाराओं को स्वयं के स्नेह में संरक्षित कर गहराई से रूबरू तथैव इन धाराओ को सुरत के सामने कड़ी धुप में अपनी छटा बिखेरने का शुभवसर प्रदान करता है। मुझे गर्व है की मैं ऐसी संस्कृति से संबंध रखता हूं जिसमें गुरुवर को देवो से अग्रिम स्थान प्राप्त है।

गुरु का सद्सान्निध्य ही, जग में हैं उपहार।
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार।।
तुम्हीं बताओ राम का, होता प्रखर चरित्र?
गुरु वशिष्ठ होते नहीं, और न विश्वामित्र।
गुरू ही व्यक्ति को इन्सान का रूप देता है। गुरू ही ज्ञान का पर्याय है। एक सच्चा गुरू ही अपने शिष्यों को इस संसार से परिचित करवाता है।शिक्षा देना, हमेशा के लिए किसी की ज़िन्दगी को बदल देना है।गुरु शब्द गु और रु से मिलकर बना है. गु का अर्थ अन्धकार और रु का अर्थ प्रकाश होता है. यानि जो हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाएँ वही गुरु हैं।रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में प्रसन्नता जगाना शिक्षक की सर्वोत्तम कला है।

आप सभी साथियो के प्रेम की सम्पूर्ण अकांछा के साथ चंद टूटे- फूटे शब्दों में मैंने अपनी बात रखने की एक छोटी सी अक्षुण कोशिश की है। कृपया पसंद आए तो हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब जरूर करे ।

उसके इशारों पर चलके मंज़िल से खुदको रूबरू देखा है,
उसके इशारों पर चलके मंज़िल से खुदको रूबरू देखा है,
मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है ।
मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है ,,
गुमनामी के अंधेरे से निकालकर एक पहचान बना देता है,
दुनिया के सारे रंजोगम से मानो अंजान बना देता है
गुमनामी के अंधेरे से निकालकर एक पहचान बना देता है,
और मंज़िल मिलना, ना मिलना मुकद्दर भी हो सकता है यारों
कल तक जो ख्वाब पाले थे, उनकों होते अब शुरु देखा है
पर गुरु की कृपा वाकइ हम जैसों को इंसान बना देता है ।
कल तक जो ख्वाब पाले थे, उनकों होते अब शुरु देखा है
इस खुदा मे इतनी शक्ति है की खामोश रहकर भी बहुत कुछ कह जाता है
मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है ,,
जलकर खुद दिए की तरह कई जीवन रौशन कर जाता है
और देता है ज़माने मे कई नाम,
जीवन अपना कर अर्पण जो मंज़िल की ओर बढ़ाता है
पर खुद वो गुमनाम ही रह जाता है
लिखकर ये गज़ल अपने कलम से मैने लब्जो तक मे आबरू देखा है
मैने खुदा तो नही देखा पर हां गुरु देखा है ,,
मैने खुदा तो नही देखा पर गुरु देखा है ।
जय हिन्द To All of You




Saturday, January 30, 2021

Wo Kishan hai Saheb | Shayri on Farmers Protest

वो किसान है साहेब!

मिट्टी को ही माँ.. बहन औऱ बेटी मानता है.,
मिट्टी को ही माँ.. बहन औऱ बेटी मानता है.,
वो किसान है साहब.. इतना कहाँ कुछ जानता है.,
देख लेते हो तुम लंगर के पिज्जे क्या ख़ूब.,
पर दिसम्बर की ठण्ड तुमको दिख ही नहीं पाती.,
किसकी वज़ह से ये मर रहे हैं सड़को पर.,
कहते हो इनमे है घमण्ड फ़िर तुमको दिख ही नहीं पाता.,
ढूंढ़ने लगे हो आजकल इनमे देशद्रोही तुम.,
पर सरहदों पर खड़े इनके बेटे दिख ही नहीं पाते.,
अरे इनपे उँगली उठाने वालों कान खोल के सुन लो.,
दूर दूर तक तुम इनके सामने कहीं टिक ही नहीं पाते.,
फ़ंडिंग किसने की है ये तुम पूछते हो.,
लॉकडाउन में किये गए दान तुम्हे कभी दिखे ही नहीं.,
अरे भगत सिंह को भी कहा गया था कभी टेररिस्ट.,
इन सरकारों के झूठे बयान तुम्हें कभी दिखे ही नहीं.,
अरे मसाज करती कुछ मशीनें तो तुम्हे दिख गई.,
पर इनके जख्म और देश के लिए बलिदान तुम्हे कभी दिखे ही नहीं.,
आज वक़्त है बचा लो पूंजीपतियों से देश को.,
कहीं ऐसा ना हो कि किसान फिर कभी तुम्हें दिखे ही नहीं.,
इसके मिट्टी के खुशबू से पूरा विश्व भारत को पहचानता है.,
मिट्टी को ही माँ.. बहन और बेटी मानता है.,
वो किसान है साहब इतना कहाँ कुछ जानता है.,
वो किसान है साहब इतना कहाँ कुछ जानता है.!!
जय हिन्द.!!

By - Piyush Pandey