मिट्टी को ही माँ.. बहन औऱ बेटी मानता है.,
मिट्टी को ही माँ.. बहन औऱ बेटी मानता है.,
वो किसान है साहब.. इतना कहाँ कुछ जानता है.,
देख लेते हो तुम लंगर के पिज्जे क्या ख़ूब.,
पर दिसम्बर की ठण्ड तुमको दिख ही नहीं पाती.,
किसकी वज़ह से ये मर रहे हैं सड़को पर.,
कहते हो इनमे है घमण्ड फ़िर तुमको दिख ही नहीं पाता.,
ढूंढ़ने लगे हो आजकल इनमे देशद्रोही तुम.,
पर सरहदों पर खड़े इनके बेटे दिख ही नहीं पाते.,
अरे इनपे उँगली उठाने वालों कान खोल के सुन लो.,
दूर दूर तक तुम इनके सामने कहीं टिक ही नहीं पाते.,
फ़ंडिंग किसने की है ये तुम पूछते हो.,
लॉकडाउन में किये गए दान तुम्हे कभी दिखे ही नहीं.,
अरे भगत सिंह को भी कहा गया था कभी टेररिस्ट.,
इन सरकारों के झूठे बयान तुम्हें कभी दिखे ही नहीं.,
अरे मसाज करती कुछ मशीनें तो तुम्हे दिख गई.,
पर इनके जख्म और देश के लिए बलिदान तुम्हे कभी दिखे ही नहीं.,
आज वक़्त है बचा लो पूंजीपतियों से देश को.,
कहीं ऐसा ना हो कि किसान फिर कभी तुम्हें दिखे ही नहीं.,
इसके मिट्टी के खुशबू से पूरा विश्व भारत को पहचानता है.,
मिट्टी को ही माँ.. बहन और बेटी मानता है.,
वो किसान है साहब इतना कहाँ कुछ जानता है.,
वो किसान है साहब इतना कहाँ कुछ जानता है.!!
जय हिन्द.!!
मिट्टी को ही माँ.. बहन औऱ बेटी मानता है.,
वो किसान है साहब.. इतना कहाँ कुछ जानता है.,
देख लेते हो तुम लंगर के पिज्जे क्या ख़ूब.,
पर दिसम्बर की ठण्ड तुमको दिख ही नहीं पाती.,
किसकी वज़ह से ये मर रहे हैं सड़को पर.,
कहते हो इनमे है घमण्ड फ़िर तुमको दिख ही नहीं पाता.,
ढूंढ़ने लगे हो आजकल इनमे देशद्रोही तुम.,
पर सरहदों पर खड़े इनके बेटे दिख ही नहीं पाते.,
अरे इनपे उँगली उठाने वालों कान खोल के सुन लो.,
दूर दूर तक तुम इनके सामने कहीं टिक ही नहीं पाते.,
फ़ंडिंग किसने की है ये तुम पूछते हो.,
लॉकडाउन में किये गए दान तुम्हे कभी दिखे ही नहीं.,
अरे भगत सिंह को भी कहा गया था कभी टेररिस्ट.,
इन सरकारों के झूठे बयान तुम्हें कभी दिखे ही नहीं.,
अरे मसाज करती कुछ मशीनें तो तुम्हे दिख गई.,
पर इनके जख्म और देश के लिए बलिदान तुम्हे कभी दिखे ही नहीं.,
आज वक़्त है बचा लो पूंजीपतियों से देश को.,
कहीं ऐसा ना हो कि किसान फिर कभी तुम्हें दिखे ही नहीं.,
इसके मिट्टी के खुशबू से पूरा विश्व भारत को पहचानता है.,
मिट्टी को ही माँ.. बहन और बेटी मानता है.,
वो किसान है साहब इतना कहाँ कुछ जानता है.,
वो किसान है साहब इतना कहाँ कुछ जानता है.!!
जय हिन्द.!!
By - Piyush Pandey
No comments:
Post a Comment